पिछले कुछ वर्षों से लक्सर हरिद्वार में यात्रियों का आवागमन इतना बढ़ गया है कि 30 वर्षों से भी ज्यादा समय से चलने वाली मेटाडोर (महिंद्रा मिनी बस) के बाद ई रिक्शा, विक्रम ओटो आदि भी भर भर कर चलते हैं। डग्गामार वाहन बुजुर्ग पुरूष हो या महिला यात्री उनसे किराया तो मनमाना लेते हैं मगर 3 यात्री वाली सीट पर 4-5 यात्री ठूंस कर बैठाते है। डग्गामार वाहन की मौज हो रही है l उत्तराखंड परिवहन निगम की बस चालको द्वारा जो महिलाओं, बुजुर्ग यात्रियों के हाथ देने के बावजूद बस को रोकने की जगह बस को तेजी से आगे बढ़ा देते हैं। भले ही बस में कितनी ही सीट खाली हो
जबकि उत्तराखंड सरकार द्वारा रोडवेज बसों में आधार कार्ड दिखाने पर 60 वर्ष से ऊपर के यात्रियों के लिये निशुल्क यात्रा का प्रावधान है। कुछ दिन पूर्व हरिद्वार बस स्टैंड के एजीएम जैन को इस समस्या के बारे में अवगत कराया तो उन्होंने इसे गम्भीरता से नही लिया। राज्य सरकार और इस रूठ पर पड़ने वाली विधानसभा के विधायको को भी चाहिए कि लक्सर रूट पर चलने वाले कामचोर मुफ्त की सैलरी लेने वाले बस चालक सुल्तानपुर, बादशाहपुर, शाहपुर, धनपुरा, कटारपुर, जगजीतपुर आदि बस स्टॉप पर रोडवेज बस का रुकना सुनिश्चित हो। क्या इन बस चालको की कोई डग्गामार ऑटो, ई रिक्शा, मिनी बस आदि से कोई आर्थिक लाभ मिल रहा है जो ये किशनपुर, बहादरपुर जट्ट, चांदपुर, बिसनपुर और कटारपुर 5 गांव के संगम वाले बस स्टॉप पर बस रोकना आवश्यक नही समझते।
ऐसे राजकीय बस चालक कुछ व्यक्तिगत कारणों से विभाग को लाखों का प्रति माह चुना लगा रहे हैं। आस पास के गांव की महिलाओं, पुरुषों, बुजुर्गों और छात्रो की उत्तराखंड परिवहन मंत्री से मांग है कि ऐसे बस चालको के खिलाफ जांच बैठाकर कठोर कार्यवाही की जाय। ताकि भविष्य में आम जनता के लिये चलने वाली बसों से विभाग और जनता को लाभ मिल सके।