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डॉ अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय सेन्टर, नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन


विवेकानंद सस्टेनेबिलिटी समिट

डॉ अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय सेन्टर, नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन

भारत में सतत विकास हेतु कार्य कर रहे सभी संगठनों को मंच प्रदान करना

पर्यावरण प्रभाव और स्थिरता पर विभिन्न प्रतिष्ठित हस्तियों, विशेषज्ञों और विचारकों के विचारों के आदान-प्रदान हेतु एक मूल्यवान मंच

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी जी, पद्म भूषण डॉ. के राधाकृष्णन पूर्व अध्यक्ष इसरो, प्रो. शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित कुलपति, जेएनयू, सचिव, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड, श्री राजेश कुमार पाठक जी, नई दिल्ली, श्री अर्जुन अग्रवाल, इंडोरमा, विवेकानन्द यूथ कनेक्ट फाउंडेशन के फाउंडर डाॅ राजेश सर्वज्ञ ने सहभाग कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त किये

भारत में सतत विकास को सुदृढ़ करने के लिये हरित तकनीक लागू करने हेतु एक्सपो का आयोजन

सभी विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का पौधा देकर हरित और सतत विकास का किया संकल्प

इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ इंट्रास्ट्रक्चर
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

इंपोर्ट कम और एक्सपोर्ट ज्यादा
नितिन गडकरी

ऋषिकेश, 19 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने डॉ अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय सेन्टर, नई दिल्ली में 19 और 20 अप्रैल को आयोजित दो दिवसीय विवेकानंद सस्टेनेबिलिटी समिट (राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन) में सहभाग किया। सभी विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर आज के शिखर सम्मेलन का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर सरकारी एजेंसी, कॉर्पोरेट क्षेत्र, शिक्षाविदों, गैर-सरकारी संगठनों और नागरिक समाज के प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाकर पर्यावरण संकट के शमन और सतत विकास हेतु ठोस रणनीतियाँ बनाने के लिये सभी को आमंत्रित किया गया।
परमार्थ निकेेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हमें इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ इंट्रास्ट्रक्चर पर भी ध्यान देना होगा। साथ ही अपने कल्चर, नेचर और फ्यूचर को केन्द्र में रखकर विकास को गति देनी होगी। वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ भावी पीढ़ी को अपनी आवश्यकताएँ पूरी करने के लिये किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता क्योंकि हमारे पास प्लान ए और प्लान बी हो सकता है परन्तु प्लानेट केवल एक ही है।
हमें पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिये ग्रीड कल्चर से नीड कल्चर की ओर बढ़ना होगा। ग्रीड कल्चर से ग्रीन कल्चर, नीड कल्चर से नये कल्चर, यूज एंड थ्रो कल्चर से यूज एंड ग्रो कल्चर की ओर बढ़ना होगा। बी आर्गेनिक, बाय आर्गेनिक, ग्रीन फार्मिग और आर्गेनिक फार्मिग की अंगीकार करना होगा।

हमें केवल दुनिया का कायाकल्प ही नहीं करना है बल्कि अपने दिलों का भी कायाकल्प करना है, अपने दिमागों को बदलना है; अपनी सोच को बदलना है क्योंकि सोच बदलेगी तो सब बदलेगा। सबके लिये समान, न्यायसंगत, सुरक्षित, शांतिपूर्ण, समृद्ध और रहने योग्य विश्व का निर्माण करना, जहां पर सबके पास स्वच्छ जल, स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त वातावरण और मौलिक सुविधायें उपलब्ध हो तभी हम एक समृद्ध राष्ट्र, समृद्ध प्रकृति और समृद्ध संस्कृति का निर्माण कर सकते हैं।

केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी जी ने कहा कि विवेकानन्द जी ने कहा था कि हमारा देश 21 वी सदी में विश्व का सुखी और समृद्ध राष्ट्र बन कर उभरेगा इसलिये उनके स्वप्न को साकार करने के लिये हम सभी को कार्य करना होगा। उन्होंने नॉलेज टू वेल्थ और वेस्ट टू वेल्थ इनोवेशन पर चर्चा करते हुये कहा कि हमें एथिक्स, इकोनामी और इकोलॉजी के साथ आगे बढ़ना होगा।

श्री गडकरी जी ने इंपोर्ट कम और एक्सपोर्ट बढ़ाने का मंत्र देते हुये कहा कि हमारे देश का किसान इस देश के लिये ऊर्जा और फ्यूल बना सकता है। उन्होंने शुगर जूस से इथेनॉल बनाने की तकनीक पर चर्चा करते हुये कहा कि हमें नीड बेस्ट टेक्नोलॉजी और नीड बेस्ट रिसर्च की ओर बढ़ना होगा। इलेक्ट्रिसिटी के द्वारा पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू करने के विषय की भी जानकारी देते हुये कहा कि आगामी दिसंबर माह तक हम कम समय में अधिक दूरी तक कर सकते हैं।

सचिव, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड, श्री राजेश कुमार पाठक जी ने हाइड्रोजन फ्यूल टेक्नोलाॅजी के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि प्राकृतिक संसाधन हमारी आगे आने वाली पीढ़ियों को भी मिलता रहें यह ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि हमारे पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
पूर्व अध्यक्ष इसरो पद्म भूषण डॉ. के राधाकृष्णन ने कहा कि हमारी समझ हमारी पृथ्वी के साथ होनी चाहिये। क्लाइमेंट चंेज वर्तमान और भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित कर रहा है। हमें चितंन करना होगा कि भारत में 65 प्रतिशत यूथ है वे कैसे सतत विकास की ओर बढ़ें यह जरूरी है।
विवेकानन्द यूथ कनेक्ट फाउंडेशन के फाउंडर डाॅ राजेश सर्वज्ञ ने कहा कि विवेकानन्द जी ने आज से लगभग 150 वर्ष पूर्व हमें सतत विकास का संदेश दिया था। हम धरती से बहुत कुछ लेते है तो हमें धरती को देने के लिये भी सोचना होगा। आज इस शिखर सम्मेलन के माध्यम से हम यह चिंतन करेंगे कि सतत और सुरक्षित विकास की ओर कैसे बढ़ सकते हैं।

विवेकानंद सस्टेनेबिलिटी समिट को विवेकानन्द यूथ कनेक्ट फाउंडेशन, ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलायंस, सिम्फनी, आर्क वेंचर्स और एनाम एसेट मैनेजमेंट का भी समर्थन प्राप्त है। दूसरी ओर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिखर सम्मेलन के लिए विश्वविद्यालय भागीदार के रूप में कार्य करेगा, जिसे भारत सरकार के प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड का भी समर्थन प्राप्त है। सभी मुख्य अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन रिलायंस के संदीप घोष जी ने किया।

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