रिपोर्ट महिपाल शर्मा lउत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार द्वारा ‘‘उत्तराखण्ड के परम्परागत संस्कृत शिक्षकों एवं छात्रों के लिए तकनीकी प्रशिक्षण’’ विषयक द्विवर्षीय प्रोजेक्ट के अन्तर्गत पंचदिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का समापन l
मुख्य अतिथि दून विश्वविद्यालय, देहरादून की कुलपति एवं प्रसिद्ध भाषाविद् प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में संस्कृत भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। संस्कृत में हमारा सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक इतिहास समाया हुआ है, आज आवश्यकता इस बात की है कि हम संस्कृत में गुणवत्तापरक अनुसंधान के माध्यम से मानवता को विकास के लिए कार्य करें। उन्होंने कहा पाणिनि, कात्यायन एवं पतंजलि महान भाषाविद थे जिन्होंने अपने प्रयोगात्मक एवं अनुभव परक शोध से संस्कृत भाषा को अनुशासित कर अमर कर दिया।
उन्होंने संस्कृत के विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि आने वाला समय संस्कृत भाषा का है अतः हमें आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षण एवं संप्रेषण में निपुण बनना होगा,संस्कृत शिक्षा में तकनीकी का प्रयोग करने के लिए इस पंच दिवसीय कार्यशाला के आयोजन से छात्र एवं शिक्षक लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय की यह जिम्मेदारी है कि चलचित्र के माध्यम से वह बालकों के लिए संस्कृत के छोटे – छोटे वाक्यों से सुसज्जित लघु फिल्में तैयार करें जिससे बच्चों के भीतर संस्कृत का समावेश हो सके। आज के युग में छोटे बच्चों में कार्टून फिल्मों का आकर्षण बढ़ा है,उन्हें यह पता नहीं है कि प्रेरणा के विषय इनमें क्या हैं, संस्कृत के माध्यम से बच्चों के लिए इन कार्टून फिल्मों की तर्ज पर ज्ञानपरक सामग्री का निर्माण हो।
कार्यक्रम के अध्यक्ष उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेशचंद्र शास्त्री ने कहा कि संस्कृत आज विश्व भाषा के रूप में उभर रही है। विदेशों में संस्कृत भाषा का अध्ययन एवं अध्यापन हो रहा है। इस भाषा में हमारा प्राचीन ज्ञान एवं विज्ञान समाहित है जिसके अंतर्गत वैदिक वांङ्मय से लेकर आधुनिक संस्कृत साहित्य विद्यमान है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में संस्कृत शिक्षा को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, तदनुरूप ही प्रदेश के समस्त संस्कृत शिक्षकों एवं छात्र/छात्राओं को आधुनिक शिक्षण एवं संप्रेषण तकनीकी में प्रशिक्षित करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय से सम्बद्ध समस्त संस्कृत महाविद्यालयों एवं प्रदेश के समस्त संस्कृत विद्यालयों तथा पाठशालाओं में कार्यरत संस्कृत शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षण में प्रशिक्षित करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला के सह समन्वयक सुशील चमोली ने बताया कि कार्यशाला में राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों से 110 प्रतिभागी इस कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पंच दिवसीय कार्यशाला में कुल सत्रह सत्र आयोजित किए गए जिसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आमंत्रित विद्वानों द्वारा प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया गया।
अतिथियों का स्वागत कार्यशाला की संयोजक मीनाक्षी सिंह रावत ने किया।
कार्यक्रम का संचालन उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के परियोजना प्रभारी डॉ. सुमन प्रसाद भट्ट ने किया।
इस अवसर पर प्रो. दिनेश चन्द्र चमोला, डॉ. विन्दुमती द्विवेदी, डॉ. हरीश चन्द्र तिवाड़ी, डॉ. वाजश्रवा आर्य, डॉ. पद्माकर मिश्रा, डॉ. चण्डी प्रसाद घिल्डियाल, शोध अधिकारी डॉ. हरीश गुरुरानी, डॉ. नवीन चन्द्र पंत, डॉ. बलदेव प्रसाद चमोली, मनोज गहतोड़ी, विभिन्न संस्कृत महाविद्यालयों के प्राचार्य, शोधार्थी एवं छात्र उपस्थित रहे।