श्री गुरुतेगबहादुरजी के बलिदान दिवस पर उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
रिपोर्ट महिपाल शर्मा l
संगोष्ठी के मुख्य fअतिथि निर्मल पंचायती अखाड़ा के पीठाधीश्वर महंत ज्ञानदेव जी महाराज ने कहा कि सनातन परम्पराओं के सम्मान लिए हम सभी को एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता है, गुरुतेग बहादुर जी ने देश और समाज के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया,इतिहास में इससे बड़ा बलिदान नहीं हो सकता। आज हम सभी को इस बलिदानी परम्परा का सन्देश घर-घर पहुंचाने की आवश्यकता है।
अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्द दी चादर श्री गुरु तेगबहादुर जी का जीवन हम पढ़ें, पढ़ाएं, सुनें, सुनाएं तथा देश-धर्म-समाज के लिए उनके बलिदान को आज की स्थिति में अपना संकल्प बनाकर ही हम आगे बढ़ सकते हैं।
मुख्य वक्ता
राष्ट्रीय अखाड़ा परिषद के कोषाध्यक्ष महंत जसविंदर सिंह शास्त्री ने कहा कि श्री गुरु तेगबहादुर जी ने मतान्तरण की आंधी रोकने के लिए खालसा सृजना कर भारत के व्यक्ति-व्यक्ति में देश, धर्म, समाज के लिए सर्वस्व अर्पण करने का भाव संचार कर दिया था।अमर बलिदानी श्री गुरु तेगबहादुर जी को हिन्दुस्थान के इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ बताते हुए उन्होंने कहा कि उनके दिखाए हुए मार्ग पर चलकर भारत को विश्व का सिरमौर बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं ने सिख पंथ को स्वतंत्र रूप में स्थापित किया था,सामाजिक, आर्थिक,राजनीतिक तथा ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में उस दौर में इसकी नितांत आवश्यकता थी। आत्मबलिदान की जो मिशाल तेग बहादुर जी पेश की उसने उन्हें इस महान राष्ट्र का चिरकाल तक नायक बना दिया।
विशिष्ट अतिथि गुरुद्वारा श्री हेमकुण्ड साहिब ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सरदार नरेन्द्रजित बिंद्रा ने कहा कि श्री गुरु तेगबहादुर जी तथा उनके सहयोगी भाई मतीदास, भाई सतीदास, भाई दयाला के बलिदान को पाठ्यक्रम में पढ़ाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इच्छित मृत्यु को गले लगाकर श्री तेगबहादुरजी ने सिद्ध कर दिया कि बलिदान द्वारा व्यक्ति के धर्म के सिद्धांत कभी अस्थिर नही होते बल्कि दृढ़ और ठोस हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि उनका बलिदान हमें और हमारे जीवन को विश्वास के धरातल पर अडिग रहने की प्रेरणा भी देगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति प्रोफेसर दिनेशचंद्र शास्त्री ने कहा कि हमारे देश को अनेक लुटेरों ने लूटा।अनेक जातियां आतंकी बनकर इस देश में आईं और इस देश की संस्कृति सभ्यता को मिटाने का असफल प्रयास किया।इनमें इस्लाम के अनुयायी सबमें भिन्न थे,औरंगजेब जैसा क्रूर आतंकी उसी में सम्मिलित था।उन्होंने कहा कि औरंगजेब को लगा कि वह श्री तेगबहादुर को बंदी बनाकर भारत का इस्लामिक रण आसानी से कर लेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तेगबहादुर जी अपने संकल्प से जरा भी विचलित नहीं हुए और देश धर्म की खातिर बलिदान हो गए। कार्यक्रम से पूर्व गुरुतेग बहादुर जी के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।निर्मल पंचायती अखाड़े के रागियों ने शब्द कीर्तन कर माहौल को भक्तिमय बना दिया। धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी ने स्वागत भाषण कर अतिथियों का स्वागत किया।सह संयोजक मनोज गहतोड़ी ने सभी अतिथियों का परिचय कराया। कार्यक्रम का संचालन डॉ सुमन भट्ट ने किया। इस अवसर पर प्रो दिनेश चंद्र चमोला,डॉ शैलेश तिवारी, डॉ अरविंद नारायण मिश्र, डॉ प्रतिभा शुक्ला
डॉ विन्दुमती, डॉ दामोदर परगांई , डॉ रामरत्न खण्डेलवाल डॉ कंचन तिवारी,डॉ अरुण कुमार मिश्र, डॉ उमेश शुक्ल, डॉ रत्न लाल, डॉ मनोज किशोर, सुशील चमोली, मनमीत कौर,डॉ विनय सेठी, डॉ अजय परमार, वित्त नियंत्रक लखेन्द्र गोन्थियाल, उपकुलसचिव दिनेश राणा सहित छात्र छात्राएं उपस्थित थे।