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नगर मजिस्ट्रेट श्री वृजेश तिवारी ने अवगत कराया कि सचिव, उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग, हरिद्वार पर होगी।

नगर मजिस्ट्रेट श्री वृजेश तिवारी ने अवगत कराया कि सचिव, उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग, हरिद्वार पर होगी।
हरिद्वार: नगर मजिस्ट्रेट श्री वृजेश तिवारी ने अवगत कराया कि सचिव, उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग, हरिद्वार के पत्र संख्या-288 दिनांक 13.02.2023 के अनुसार उत्तराखण्ड सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर सेवा मुख्य (लिखित प्रकृति) परीक्षा-2021 दिनांक 23.02.2023 से 26.02.2023 तक जनपद हरिद्वार नगर निगम क्षेत्रान्तर्गत इन परीक्षा केन्द्रों-परीक्षा भवन, उत्तराखण्ड पब्लिक सर्विस कमीशन हरिद्वार हाल नं0 01 से 04 तक, क्रेन्द्र कोड 101, शांति मैमोरियल पब्लिक स्कूल लक्सर रोड़ जगजीतपुर कनखल केन्द्र कोड 104 पर आयोजित की जानी है।
परीक्षा के दौरान परीक्षा केन्द्रों पर कानून एवं शांति व्यवस्था बनाये रखने हेतु धारा 144 सी.आर.पी.सी लागू किये जाने के निर्देश दिये गये है, जिसके अनुसार शाति एवं सुरक्षा तथा विधि व्यवस्था बनाये रखने हेतु हरिद्वार नगर के इन परीक्षा केन्द्रों एवं उनके आस-पास की 200 मीटर की परिधि में जिला मजिस्ट्रेट, हरिद्वार धारा 144 सीआरपीसी के अन्तर्गत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए हरिद्वार नगर क्षेत्र के इन परीक्षा केन्द्रों के आस-पास की 200 मीटर की सीमा के अन्तर्गत जिला मजिस्ट्रेट हरिद्वार अथवा अपर जिला मजिस्ट्रेट हरिद्वार अथवा नगर मजिस्ट्रेट की पूर्वानुमति के बिना पांच या पांच से अधिक व्यक्ति समूह के रूप में एकत्रित नहीं होंगे और न ही कोई सार्वजनिक सभा करेंगे और न ही जुलूस आदि निकालेंगे, कोई भी व्यक्ति इन परीक्षा केन्द्रों के आस पास अपने किसी कार्यक्रम द्वारा जन भावनाओं को किसी प्रकार से नहीं भडकाएगा और कोई ऐसा कार्य नहीं करेगा, जिससे सार्वजनिक लोक शांति भंग होना सम्भाव्य हो। हरिद्वार नगर क्षेत्र के इन परीक्षा केन्द्रों पर एवं उसके आस-पास की 200 मीटर की परिधि में किसी प्रकार का कोई धरना-प्रदर्शन आदि नहीं किया जायेगा, निर्धारित मानकों से अधिक किसी भी प्रकार का ध्वनि प्रदूषण फैलाना पूर्णतः प्रतिबंधित होगा।
नगर मजिस्ट्रेट ने बताया कि ये प्रतिबंध दिनांक 23 फरवरी से 26 फरवरी, 2023 तक परीक्षा समाप्ति तक हरिद्वार नगर के इन परीक्षा केन्द्रों एवं उसके आस-पास की 200 मीटर की परिधि के क्षेत्रान्तर्गत लागू होंगे। इन आदेशों का किसी भी प्रकार से उल्लंघन भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 188 के अन्तर्गत दण्डनीय होगा।

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