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संस्कारों द्वारा होता है मानव जीवन अलंकृत-प्रो.गोपाल प्रसाद शर्मा

संस्कारों द्वारा होता है मानव जीवन अलंकृत-प्रो.गोपाल प्रसाद शर्मा
रिपोर्ट महिपाल शर्मा l
उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के द्वारा आयोजित जनपद स्तरीय व्याख्यानमाला के अंतर्गत उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद में आज संस्काराणां वैशिष्ट्यं वर्तमाने प्रासंगिकता च विषय के अंतर्गत निरूढ़पशुबन्ध: सौत्रामणिहविर्यज्ञोsग्निष्टोमयज्ञश्च विषय पर विशिष्ट अंतर्जालीय व्याख्यानमाला आयोजित की गई।कार्यक्रम में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से तथा दिल्ली, कानपुर एवं आंध्र प्रदेश से लगभग 50 से अधिक अध्यापक, शोधार्थी एवम विद्यार्थी जुड़े । कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंगलाचरण के साथ किया गया । मुख्य वक्ता के रूप में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली से वेद विद्वान एवं वरिष्ठ आचार्य प्रो. गोपाल प्रसाद शर्मा जी ने कहा कि संस्कारों का सम्यक तरीके से परिचय आवश्यक है उन्होंने संस्कारों की विधियों का प्रतिपादन करते हुए निरूढ़पशुबन्ध: सौत्रामणिहविर्यज्ञोsग्निष्टोमयज्ञश्च विषय पर विशिष्ट ज्ञान देकर सबको लाभान्वित कर सपष्ट किया कि संस्कार से अलंकरण होता है और मनुष्य का जीवन संस्कारों के माध्यम से संचालित होता है संस्कारो के माध्यम से मानव अपने जीवन के मूल उद्देश्य प्राप्ति कर पाता है जिसके लिए वह इस संसार में आया है । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. शैलेश तिवारी जी ने संस्कारों के सृजन पर केंद्रित व्याख्यान देते हुए बताया कि आज संस्कारों के सृजन की आवश्यकता है और समाज के सामने वैदिक संस्कारों को ले जाने की आवश्यकता है । उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के शोध अधिकारी डॉ. हरीश चंद्र गुररानी ने सभी अतिथियों को कार्यक्रमाध्यक्ष डॉ. एस.पी. खाली की और से अकादमी का संचालित व्याख्यान माला का मूल उद्देश्य से अवगत कर हरिद्वार जनपद द्वारा आयोजित व्यख्यान माला की सफलता की बढ़ायी आयोजन मण्डल को दी। सभी अतिथियों का धन्यवाद सह- संयोजिका श्रीमती मीनाक्षी सिंह ने दिया तथा कार्यक्रम के सफल संचालन कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अरुण कुमार मिश्र किया । सामूहिक शांति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में डॉ कंचन तिवारी, डॉ विंदुमती दिवेदी, डॉ सुमन प्रसाद भट्ट, डॉ सुशील कुमार चमोली, डॉ हरीश तिवाड़ी, प्रो. निरंजन मिश्र,डॉ चंद्र प्रकाश उप्रेती, डॉ रोशन लाल गोड़, डॉ प्रदीप सेमवाल, डॉ संध्या ठाकुर,डॉ कंचन दुबे तथा उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के मा.कुलपति जी के निजी सचिव श्री मनोज गहतोड़ी उपस्थित रहे।

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