उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर ऑन लाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया।
बहादराबाद 14 अप्रैल का ऑन लाईन कार्यक्रम आयोजित किया गया ( महिपाल )
उत्तराखंड विश्व विद्यालय में भीमराव अम्बेडकर जयंती ऑन लाईन व्याख्यान माला पर भीमराव अम्बेकर व्याख्यान माला का ऑन लाईन आयोजन किया गया l डॉ भीमराव अंबेडकर का चिंतन एवं समाज उत्थान था। | कुलपति प्रो दिनेशचंद्र शास्त्री ने ऑनलाइन जुड़े सैकड़ों प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भीमराव अंबेडकर को वास्तविक रूप से जानने के लिए उन्हें केवल मूर्ति रूप में न देखकर उनके द्वारा लिखित साहित्य को सभी को अवश्य पढ़ना चाहिए तभी उनके चिंतन की दूरदर्शिता को समाज समझ पाएंगा , उन्होंने बताया प्रधानमंत्री के द्वारा सबका साथ सबका विकास के नारे के मूल में भी अंबेडकर द्वारा बताये गये समानता के भाव परिलक्षित होते हैं | यूरोपीय देशों ने संविधान निर्माण की जो बात की थी उनके बच्चे आज भी सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि उनके द्वारा निर्मित अधिकारों के पीछे नैतिकता का जो पाठ होना चाहिए वह उसमें अभिव्यक्त नहीं है जिसके कारण वहां अराजकता और उग्रवाद को बढ़ावा मिल रहा है ।
कुलपति ने कहा बाबासाहेब आंबेडकर के चिंतन की दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि भारत के संविधान में नैतिकता के तत्वों का समावेश किया गया है जो अम्बेडकर के चिंतन को दर्शाता है |
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय तथा डॉ अम्बेडकर चेयर के कार्यकारी अध्यक्ष, जे एन यू नई दिल्ली के समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो विवेक कुमार ने अपने व्याख्यान में कहा कि बाबा साहेब ने अपने छात्र जीवन की यात्रा में अनेक यातनाओं का सामना कर अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त की । यह उनके ज्ञान मीमांसा तथा पद्धतिशास्त्र का अध्ययन कर हम सभी को जानने की आवश्यकता है |
उन्होंने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर ने 395 अनुच्छेद वाले संविधान को लिखकर उसको अंगीकार करने से पूर्व जनता के परीक्षण के लिए प्रेषित किया जिसमें 7635 संशोधन प्राप्त हुए। जिनमें से 5162 संशोधनों को अंबेडकर ने स्वयं उपयुक्त न पाकर उनका खंडन किया तथा शेष 2473 संशोधनों को संविधान में अंगीकृत किया। उन्होंने यह भी बताया कि 35 हजार पुस्तकें बाबा साहेब की घर की लाइब्रेरी में थी । उनको जो भी बात जरुरी लगती उसे वे छोटे छोटे नोट्स बनाकर अपने पास रख लेते थे यह उनके ज्ञान के विस्तार को दर्शाता है |
कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। एससीएसटी सेल की नोडल अधिकारी सहायक आचार्य श्रीमती मीनाक्षी रावत ने कार्यक्रम का वृत्त सभी के सम्मुख प्रस्तुत किया।वेद विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष कार्यक्रम संयोजक डॉ अरुण मिश्र ने मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत की। सभी अतिथियों का परिचय भी डॉ मिश्र ने कराया।
इस अवसर पर डॉ बिन्दुमती, डॉ अरविंद मिश्र,डॉ सुमन प्रसाद, डॉ सुशील कुमार चमोली, मनोज गहतोडी निजी सचिव मा कुलपति, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से डॉक्टर रामचंद्अन्य विश्वविद्यालयों से अनेक आचार्यों ,शोधार्थी एवं विद्यार्थियों के द्वारा प्रतिभाग किया गया।