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दर-दर भटक रही बूढी मां का सहारा बनी क्रांतिकारी शालू सैनी

दर-दर भटक रही बूढी मां का सहारा बनी क्रांतिकारी शालू सैनी
-कलयुगी पोते ने घर से दादी मां को निकाला, तो क्रांतिकारी शालू सैनी बनी बुढापे की लाठी
-गत दिनों मदर्स डे पर मां के साथ फोटो खिचा किया था प्यार का दावा निभा रही है रिश्ते
मुजफ्फरनगर। कलयुगी पोते ने अपनी दादी मां को मारपीट कर घर से निकाल दिया। बूढी मां भूखी प्यासी दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो रही थी।वहीं भूखी प्यासी पापी पेट को भरने के लिए लोगों के सामने हाथ फैलाने को मजबूर हो गई।
बुधवार को लावारिसों की वारिस के नाम से जाने जाने वाली समाज सेविका क्रांतिकारी शालू सैनी ने खास बातचीत में बताया कि वह शहर की कच्ची सडक के नाम से मशहूर मौहल्ले से क्रांतिकारी शालू सैनी को किसी अंजान व्यक्ति ने दूरभाष के माध्यम से जानकारी देते हुए बताया कि कच्ची सडक निवासी एक कलयुगी पोते ने अपनी मां को मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया हैं, जो दर-दर भटकने को मजबूर हो रही हैं। जानकारी के बाद क्रांतिकारी शालू सैनी मौके पर पहुंची और बुढी मां के बुढापे की लाठी बन अपनी धर्म की मां बनाकर अपने पास ले आई और खतौली वृद्ध आश्रम में लेकर गई। इस बीच क्रांतिकारी शालू सैनी ने बूढी मां को नहलाया नये कपडे पहनाए और एक बेटी के रूप में आशीर्वाद लेकर धर्म की मां के रूप में अपना लिया गया। वहीं बूढी मां ने भी क्रांतिकारी शालू सैनी को ढेर सारी दुआएं देते हुए अपनी धर्म की बेटी के रूप में क्रांतिकारी शालू सैनी के सर पर ममता का आंचल औढा दिया।

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