Uncategorized

आज मदरहुड विश्वविधालय,रुड़की में आज 2 अक्टूबर के दिन दो महान सपूतों और महापुरषों – भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री जी की पुण्य जयंती पर विश्वविधालय के माननीय कुलपति प्रो०(डॉ) नरेंद्र शर्मा जी ने नमन किया

आज मदरहुड विश्वविधालय,रुड़की में आज 2 अक्टूबर के दिन दो महान सपूतों और महापुरषों – भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री जी की पुण्य जयंती पर विश्वविधालय के माननीय कुलपति प्रो०(डॉ) नरेंद्र शर्मा जी ने नमन किया और पुष्प अर्पित किए। माननीय प्रधानमंत्री जी के सपने को साकार करने हेतु और स्वच्छता ही सेवा मुहिम के तहत छात्रों द्वारा स्वभाव स्वच्छता-संस्कार स्वच्छता के ऊपर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । जिसमें छात्र/छात्राओं द्वारा स्वच्छता थीम पर पोस्टर बनाये गये। और अंत में निर्णायक समिति द्वारा प्रथम,द्वितीय और तृतीय स्थान पर आने वाले छात्रों को माननीय कुलपति महोदय जी द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।इसी क्रम में विश्वविधालय की राष्ट्रीय सेवा योजन के इंचार्ज डॉ मुकेश शर्मा द्वारा छात्रों के साथ श्रम दान किया गया। और विश्वविधालय से लेकाग और हाईवे तक पड़े कूड़े,प्लास्टिक को उठाकर स्वच्छता अभियान में अपने योगदान दिया। कुलपति जी ने अपने संबोधन में शिक्षकों और छात्रों को उनके बताये आदर्शों ,सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। कुलपति महोदय जी ने कहा कि दोनों महापुरषों – जिन्होंने आजादी की जंग में भारतीयों को एक किया और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को स्वतंत्रता दिलाने में अहम योगदान दिया।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने सत्य और अहिंसा के आदर्शों पर चलकर भारत को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराया था। गांधी जयंती के रूप में उनके जन्मदिन मनाकर देश राष्ट्रपिता को श्रद्धासुमन अर्पित करतें हैं। आज के विद्यार्थियों एवं युवा पीढ़ी बापू के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाए तथा देश हित के लिए अपना योगदान दे। इसी उद्देश्य से गांधी जयंती का आयोजन किया जाता हैं। गांधी जयंती को हर भारतवासी को उल्लास से मनाना चाहीए.
महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” कहने का स्रोत पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने दिया था। सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी को “राष्ट्रपिता” कहकर सम्मानित किया था क्योंकि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनका महत्वपूर्ण योगदान था और वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे। उसके बाद से “राष्ट्रपिता” का उपयोग गांधी जी के सम्मान में आम तौर से किया जाने लगा।
लालबहादुर शास्त्री जी माटी के लाल के नाम से प्रसिद्ध हुए ।जिन्होंने जय जवान- जय किसान का नारा दिया।
इस अवसर पर कुलाचिव श्री अजय गोपाल शर्मा, डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ अनुज शर्मा,डॉ रवींद्र, डॉ पी के अग्रवाल,डॉ पचौरी,डॉ विकास गुप्ता,डॉ हर्षा शर्मा आदि समस्त डीन,शिक्षक उपस्थित रहे। छात्रों ने इन महान सपूतों और महापुरषों को नमन किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *