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कहीं जवानी का जोश, दारु का नशा, तेज़ रफ़्तार और रात का अंधेरा लील रहे ज़िंदगियां तो कहीं बस या ट्रक की ओवरलोडिंग।

कहीं जवानी का जोश, दारु का नशा, तेज़ रफ़्तार और रात का अंधेरा लील रहे ज़िंदगियां तो कहीं बस या ट्रक की ओवरलोडिंग।

संवाददाता – नसीम अंसारी

लोक जनशक्ति पार्टी आर प्रदेश महासचिव संसदीय बोर्ड सदस्य नाजिम साबरी ने यह बताया तीन दिन पूर्व देहरादून के उस समाचार ने सबको स्तब्ध कर दिया जिसमें अर्द्धरात्रि के उपरांत के अंधकार में शराब के नशे में चूर, जवानी के जोश में होश खो चुके सात युवक युवतियां तेज़ रफ़्तार टोयोटा आइनोवा गाड़ी में सवार थे और उनकी दुर्घटना में दर्दनाक मृत्यु हो गई परंतु यह अपनी तरह का कोई पहला केस नहीं था क्योंकि इस तरह के केस देश के महानगरों में भूतकाल में भी होते रहे हैं व अनेक मामलों में तो गाड़ी चला रहे व्यक्ति ने सड़क पर चल रहे या सड़क किनारे सो रहे गरीब लोगों को अथवा जानवरों को कुचल कर मौत के घाट उतार दिया अथवा उन्हें सदा के लिए अपाहिज बना दिया।

कुछ दिन पूर्व अल्मोड़ा में एक सड़क हादसे में छत्तीस लोगों के मारे जाने की खबर मिली थी व अनेक घायल हो गए थे जहां दुर्घटना का बड़ा कारण बस में क्षमता से अधिक यात्री भर कर बस का वज़न बढ़ा दिया गया और घुमावदार पहाड़ी रास्ते में बस का एक्सल टूट जाने से बस गहरी खाई में जा गिरी थी व दुर्घटना में किसी बच्चे ने अपने माता-पिता को खो दिया तो किसी ने अपने बच्चों को खो दिया। इसी प्रकार अनेक ट्रक इत्यादि मालवाहक वाहन क्षमता से अधिक सामान भरे जाने के कारण या ओवरलोडिंग के कारण पलट जाते हैं जिसमें जान-माल की हानि होती है।

सड़क दुघर्टनाओं के संबंध में भारत संसार में शीर्षस्थ स्थान पर आता है जहां प्रतिवर्ष लाखों सड़क दुर्घटनाएं होती हैं व सड़क दुघर्टनाओं का यह आंकड़ा वर्ष दर वर्ष बढ़ता ही जा रहा है व कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार हमारे देश में प्रतिवर्ष बीमारियों से इतने लोग नहीं मरते जितने कि सड़क दुघर्टनाओं में मरते हैं।

गत 25-30 वर्षों में भारत की सड़कों पर वाहनों की संख्या में भी तेज़ी से इज़ाफा हुआ है व उसी अनुपात में सड़क पर दौड़ते वाहनों के आपस में टकराने की घटनाएं भी बढ़ी हैं परंतु महत्वपूर्ण तथ्य यह सामने आए हैं कि अधिकांश सड़क दुघर्टनाओं में चालक शराब के नशे में था। इसके अतिरिक्त दिन की अपेक्षा रात्रि के अंधकार में सड़क दुर्घटनाएं अधिक होती हैं व इसमें कुछ जगह बड़ा कारण सड़क पर प्रकाश की उचित व्यवस्था न होना होता है व अनेक जगह तो सड़क की स्थिति का अच्छा न होना या सड़क का जगह जगह से टूटा होना या गढ्ढे से भरी सड़क होना भी एक बढ़ा कारण होता है।

जवानी के जोश में होश खो कर वाहन को तेज़ रफ़्तार से दौड़ाने वाले युवा भी सड़क दुघर्टनाओं के लिए बहुत हद तक ज़िम्मेदार होते हैं जोकि सड़क दुघर्टना होने पर स्वयं तो चोटिल होते ही हैं या मृत्यु को प्राप्त होते ही हैं व अपने साथ साथ सड़क किनारे चल रहे लोगों को घायल करते हैं या उनकी मृत्यु के लिए उत्तरदाई होते हैं।

अनेक लोगों को मजबूरन ऐसी अवस्था में गाड़ी चलानी पड़ती है जबकि उनकी नींद पूरी नहीं हुई होती व गाड़ी चलाते समय नींद का झोंका आ जाना भी अनेक बार सड़क दुघर्टना का कारण बन जाता है। सर्दी के मौसम में घना कोहरा होने की स्थिति में भी सड़क दुघर्टनाओं में इज़ाफ़ा होता है क्योंकि पुअर विज़िबिलिटी होती है।

कुछ लोग वाहन चलाते समय यातायात के नियमों का पालन नहीं करते जोकि दुर्घटना का कारण बन जाता है व इस प्रकार के अनेक लोग तो दुर्घटना होने की स्थिति में उल्टे उन लोगों की गलती निकालते हैं जोकि सड़क पर सावधानीपूर्वक यातायात के नियमों का पालन करते हुए वाहन चला रहे होते हैं व वहां पर वही कहावत चरितार्थ हो जाती है कि “उल्टा चोर कोतवाल को डांटे”।

भारत में सड़क दुघर्टनाओं का एक बढ़ा कारण यह भी है कि सड़क पर वाहन चलाने वाले लोगों के पास वाहन चलाने की उचित ट्रेनिंग व यातायात के नियमों की उचित जानकारी का अभाव होना होता है व भारत जैसे देश में तो अधिकतर शहरों में ड्राइविंग लाइसेंस भी बिना किसी ड्राइविंग टेस्ट के प्रदान कर दिए जाते हैं।

सड़क दुघर्टनाओं को कम करने के लिए शराब पी कर गाड़ी नहीं चलाना चाहिए, जवानी के जोश में होश खो कर अत्यधिक तेज़ रफ़्तार से वाहन नहीं चलाना चाहिए, सड़क पर दूसरे वाहनों से रेस नहीं लगाना चाहिए, सरकार को सड़क पर पथ प्रकाश की उचित व्यवस्था करनी चाहिए व सड़कों की हालत जहां खराब है वहां सुधारना चाहिए, बिना ड्राइविंग टेस्ट के ड्राइविंग लाइसेंस प्रदान नहीं किया जाना चाहिए।

यदि कभी मजबूरी में नींद पूरी न होने की स्थिति में गाड़ी चलानी पड़े तो अत्यंत धीमी रफ्तार से सड़क किनारे गाड़ी चलानी चाहिए व बीच बीच में ब्रेक ले कर हाथ मुंह धोकर, चाय कॉफी पी कर गाड़ी चलानी चाहिए व यदि संभव हो तो कुछ देर किसी शांत व सुरक्षित स्थान पर कुछ मिनट की झपकी ले कर आगे बढ़ना चाहिए।

सर्दी के मौसम में घना कोहरा होने की स्थिति में इमरजेंसी लाइट्स ऑन कर‌ देनी चाहिएं व हेडलाइट या फॉग लाइट ऑन कर धीमी रफ्तार से गाड़ी चलानी चाहिए व विंडस्क्रीन पर जमी स्नो को हटाने के लिए गाड़ी के हीटर को इस प्रकार से ऑन करना चाहिए कि गर्म हवा विंडस्क्रीन पर पड़े व स्नो को दूर किया जा सके।

सड़क पर वाहन चलाते समय अक्सर हम लोग सरकार द्वारा सड़क किनारे लगवाए गए बोर्ड देखते हैं कि कभी नहीं से देर भली, धीरे चलिए घर पर कोई आपका इंतज़ार कर रहा है, कृपया शराब पीकर गाड़ी न चलाएं इत्यादि जिन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

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