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पहली रोटी गाय माता की

पहली रोटी गाय माता की..

ये किसी स्कूल में लगाया गया बड़ा चपाती बॉक्स है। इस बॉक्स में बच्चे नित्य प्रति लंच के साथ लायी गयी गौ माता की एक्स्ट्रा रोटी डालते है। सनातन धर्म की समाप्त प्रायः ये परम्परा नए रूप में देखकर मन प्रसन्न हुआ।
सभी स्कूल संचालकों को इस नव प्रयास को लागू करके बच्चों को “पहली रोटी गाय माता की” अभियान को गति देनी चाहिए। छोटे बच्चों इस पंरपरा को अपनाएंगे। हर शहर और गांवो के स्कूलों एकत्र हजारों रोटियाँ गौशालाओं की भूखी गायों का पेट भरेगी।
जिन बच्चों में गायो का पेट भरने के संस्कार विकसित होंगे वो निश्चित तौर पर द्वार पर आए किसी भी असहाय व गरीब को भूखा नहीं लौटाएंगे। बच्चों में पैदा होने वाले दया- दयालुता के गुण उनके व्यक्तित्व को तो निखारेंगे, निश्चित तौर पर अपने माता- पिता के लिए अच्छी सन्तान ही नहीं समाज और राष्ट्र के भी अच्छे नागरिक बनेंगे।

अभिभावकों को भी इस अभियान को शुरू करने के लिए स्कूल प्रबंधन व संचालकों से समन्वय स्थापित करना चाहिए।

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विभिन्न संस्थाओं और संगठनों से जुड़े लोगों को भी इस अभियान के लिए पहल करनी चाहिए

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