थिंक इंडिया नेशनल कन्वेंशन-2024 आईआईटी रूड़की में संपन्न हुआ,जिससे भारत 4.0 का मार्ग प्रशस्त हुआ
उद्घाटन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी जी ने किया
रूड़की।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी),रूड़की में आयोजित थिंक इंडिया नेशनल कन्वेंशन-2024 का शानदार समापन हुआ।आईआईएससी,आईआईटी,एनआईटी,आईआईएम और एनएलयू जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों से 300 से अधिक प्रतिभागियों ने इसमे अपनी सहभागिता की।थीम “भारत 4.0” तीन दिवसीय कार्यक्रम (21-23 दिसंबर) ने तकनीकी प्रगति,टिकाऊ प्रथाओं व स्वदेशी समाधानों के मिश्रण से 2047 तक आत्मनिर्भर एवं लचीला राष्ट्र बनने के लिए भारत के रोडमैप पर उन्नत चर्चा को बढ़ावा दिया।सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी जी ने किया,जिन्होंने एक दूरदर्शी मुख्य भाषण दिया।टिकाऊ बुनियादी ढांचे,हरित प्रौद्योगिकियों और डिजिटल नवाचार की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर देते हुए उन्होंने अपनी युवा और प्रतिभाशाली इंजीनियरिंग जनशक्ति का लाभ उठाकर वैश्विक मंच पर नेतृत्व करने की भारत की क्षमता पर प्रकाश डाला।नितिन गडकरी जी ने कहा कि ज्ञान एवं कचरे को धन में बदलना ही भारत का भविष्य है।उन्होंने 2030 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के पीएम मोदी के दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाने के लिए एक रोडमैप की रूपरेखा तैयार की,जिसमें आयात को कम करने,निर्यात को बढ़ावा देने और टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के महत्व को रेखांकित किया गया।उन्होंने आर्थिक विकास और रोजगार सृजन की रीढ़ के रूप में जल, ऊर्जा,परिवहन और संचार सहित बुनियादी ढांचे की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया।उन्होंने प्रदूषण को कम करने और जीवाश्म ईंधन के आयात को कम करने के लिए जैव ईंधन,वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) में बदलाव की वकालत की।स्थिरता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भारत की बढ़ती प्रमुखता की ओर इशारा किया,जो अब विश्व स्तर पर तृतीय स्थान पर है और पांच वर्षों के भीतर ईवी-आधारित सार्वजनिक परिवहन में पूर्ण बदलाव का अनुमान लगाया।इलेक्ट्रिक बसों के लिए सब्सिडी को पर्यावरण-अनुकूल और लागत प्रभावी समाधानों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया।सम्मेलन में बोलते हुए आईआईटी रूड़की के निदेशक प्रो० कमल किशोर पंत ने इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम की मेजबानी पर गर्व व्यक्त किया।उन्होंने कहा कि “थिंक इंडिया नेशनल कन्वेंशन-2024” की मेजबानी करना आईआईटी रूड़की के लिए सम्मान की बात है। यह एक ऐसा मंच है जो सहयोग और नवाचार की भावना का प्रतीक है।यह कार्यक्रम परिवर्तनकारी चर्चाओं को चलाने और अभूतपूर्व नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए हमारे संस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाता है जो आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से उन्नत भारत 4.0 का मार्ग प्रशस्त करता है।प्रो०पंत ने 200 से अधिक स्टार्टअप के केंद्र आईआईटी रूड़की में उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र की सराहना की,जो विद्वानों को नौकरी निर्माता बनने और बेरोजगारी से निपटने के लिए प्रोत्साहित करता है।उन्होंने कृषि और ऊर्जा प्रबंधन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के एकीकरण के साथ-साथ वैश्विक समाधान पेश करने के लिए आधुनिक प्रथाओं के साथ प्राचीन भारतीय ज्ञान के संलयन पर जोर दिया।उद्घाटन सत्र के समापन पर थिंक इंडिया क्लब,आईआईटी रूड़की के प्रभारी प्रोफेसर डॉ०भावेश कुमार भालजा ने सभी अतिथियों और गणमान्य व्यक्तियों को उनके व्यावहारिक योगदान के लिए आभार व्यक्त किया,जिन्होंने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मार्ग प्रशस्त किया है।थिंक इंडिया नेशनल कन्वेंशन-2024 में वक्ताओं का एक प्रतिष्ठित पैनल एक साथ आया,जिसमें डीडी न्यूज़ के वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव,सुश्री रश्मि सामंत लेखिका,लोकनाथ चटर्जी,अधिवक्ता,उच्च न्यायालय,कोलकाता अतुल कुलकर्णी,अभिशासक परिषद,आईआईएम शिलांग के सदस्य प्रो०सच्चिदानंद त्रिपाठी, आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर एवं इंफोसिस अवार्डी और विजयंत गौड़,महानिदेशक, साइबर सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएसएआई)। इन विशेषज्ञों ने आत्मनिर्भरता और सतत विकास की दिशा में भारत की यात्रा के विभिन्न आयामों पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की।चर्चाओं ने चार परिवर्तनकारी चरणों के माध्यम से भारत के विकास पथ का पता लगाया।भारत 1.0,स्वतंत्रता-पूर्व युग जो क्रांतिकारी दृष्टिकोण से चिह्नित था,जिसने राष्ट्र की नींव रखी,भारत 2.0,स्वतंत्रता के बाद औद्योगीकरण का चरण और मिश्रित अर्थव्यवस्था की स्थापना (1947-1991) भारत 3.0, उदारीकरण का युग जिसने भारत को आत्मनिर्भर भारत की ओर प्रेरित किया और भारत 4.0,वर्तमान समय से 2047 तक भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण,अत्याधुनिक नवाचार,नवीकरणीय ऊर्जा समाधान और परिवर्तनकारी डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित है,जिसका उद्देश्य भारत को एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है।मुख्य सत्र बुनियादी ढांचे के विकास में नवाचार,आत्मनिर्भरता के लिए प्रौद्योगिकी एवं भविष्य के विकास के लिए स्थिरता,पेस्टल ढांचे (नीति, अर्थव्यवस्था,समाज,प्रौद्योगिकी,कानून और पर्यावरण) को नियोजित करने पर चर्चा की गई।मीडिया,नैतिकता और मानसिक स्वास्थ्य पर इंटरैक्टिव चर्चाओं ने बहुआयामी अंतर्दृष्टि जोड़ी,जो भारत 4.0 को प्राप्त करने के लिए कार्रवाई योग्य रणनीतियों में परिणत हुई।राष्ट्रीय महत्व के एक प्रमुख संस्थान के रूप में,आईआईटी रूड़की एक टिकाऊ और तकनीकी रूप से उन्नत भारत के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए बौद्धिक संवाद और नवाचार का नेतृत्व करना जारी रखता है।यह सम्मेलन 2047 तक देश की आत्मनिर्भर आकांक्षाओं को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।