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अधिकारियों में अरुचि के चलते ब्लॉक बहादराबाद अंतर्गत कटारपुर जियापोता में लगे घर घर कूड़े के ढेर

अधिकारियों में अरुचि के चलते ब्लॉक बहादराबाद अंतर्गत कटारपुर जियापोता में लगे घर घर कूड़े के ढेर

बहादराबाद 1 जून ( महिपाल )

उत्तराखंड सरकार द्वारा ग्राम पंचायत चुनाव देरी की सज़ा ब्लॉक बहादराबाद अंतर्गत कटारपुर जियापोता गाँव वालों को भुगतनी पड़ रही है। जहां पिछले कई दिनों से कूड़ा उठाने वाले ट्रेक्टर रिपेयर का 8800 बिल न जमा होने के कारण घर घर कूड़े के ढेर लग गए है। गंदगी चरम पर है जनता सरकार और प्रशासन को कोस रही है l गांव में स्वच्छता अभियान चलाने के बाद अधिकारियों में आपसी तालमेल न होने के कारण समस्या हल नही हो रही है। यह स्थित केवल एक ग्राम पंचायत में ही नहीं है वरन सभी ग्राम पंचायते बिना बजट सफाई नहीं करवा पा रही है जिससे सभी जगह कूड़े के ढेर प्रधान मंत्री के स्वच्छ भारत अभियान को पालिता लगा रही है l जनता का कहना है कि सरकार आपने विधायकों के वेतन ओर भत्तो में लगातार बढ़ोतरी कर रही है लेकिन जनता को साफ वातावरण देने में आना कानी कर रही है जिससे ग्रामीण जनता को गंदगी और बदबू में जीवन यापन करने पर विवश होना पद रहा है l गाँव में लगे गंदगी के ढेर गाँव में बीमारियों को आमंत्रण दें रहे है जनता गर्मी जनित बीमारियों, मख्खी मछरो के काटने से बीमार होवरही है यहां तक कि मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाईन होना सरकार की जनता के प्रति जिम्मेदारी को आईना दिखा रही है l ऐसी अवस्था मे जब राज्य सरकार द्वारा सामाजिक कार्यो के लिये नए बजट पर रोक लगी हुई है तो क्या जिलाधिकारी हरिद्वार द्वारा ऐसी समस्याओं के लिये कोई बीच का रास्ता निकालने की व्यवस्था नही बना रखी। राज्य सरकार द्वारा जिलाधिकारी को क्या इतना अधिकार नही दिया जिससे वो विशेष प्रस्तिथियो में कुछ बजट जारी करवा सके।
इस विषय मे बीडीओ मानस मित्तल न कहा कि वो निर्देश देकर कूड़े की समस्या को हल करायेगे। क्षेत्र के सिक्ट्री सचिन चौहान ने बताया अन्य ट्रेक्टर के माध्यम से कटारपुर गांव का कूड़ा भी जल्दी उठाया जायेगा।
उत्तराखंड में स्वार्थपूर्ति भावना के चलते जिम्मेदार नेताओ द्वारस ग्राम पंचायत चुनाव लेट कराना जनता को पिछले एक साल से भारी पड़ रहा है।
जनहित कार्यो में जिम्मेदार अधिकारी रुचि लेने से अक्सर बचते देखे गए हैं। जो अधिकारी जनता और मीडिया का फोन उठाने से बचे ऐसे अधिकारियों को मुफ्त की सैलरी मिलने की आदत पड़ जाय तो उन्हें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सभी निर्देश व्यर्थ लगते हैं।

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