समृद्वि व स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक जीवन जीना होगाः पूज्य स्वामी रामदेव जी
आयुर्वेद का सर्वोच्च शिखर है पतंजलिः श्रद्वैय आचार्य बालकृष्ण जीl
रिपोर्ट महिपाल शर्मा l
पारम्परिक भारतीय चिकित्सा का आध्ुनिकीकरणः लोक स्वास्थ्य एवं औद्यौगिक परिप्रेक्ष्य’ विषय पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन ज्ञान-अनुसंधन का अविरल प्रवाह पूज्य स्वामी रामदेव जी एवं श्र(ेय आचार्य बालकृष्ण जी के मार्गदर्शन में चलता रहा। दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात् विद्वान् वक्ताओं द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा के विविध् प्रयोगों पर सारगर्भित व्याख्यान दिये गये।
पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाध्पिति स्वामी रामदेव जी ने उपस्थित वैज्ञानिकों एवं प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रकृति से ही हमारी संस्कृति की पहचान होती है तथा इसी से हमें समृद्वि व स्वास्थ्य भी मिलता है। आज करोड़ों लोगों ने अपनी गृह वाटिका में तुलसी, एलोवेरा व गिलोय को स्थान दिया है, इसमें पूज्य आचार्य जी का बहुत बड़ा योगदान है। पतंजलि अनुसंधन संस्थान के अध्यक्ष एवं पतंजलि वि.वि. के कुलपति आचार्य बालकृष्ण जी ने पतंजलि का आयुर्वेद के क्षेत्रा में विराट योगदान को विस्तार से बताते हुए कहा कि पतंजलि के शोध् व आयुर्वेदिक दवाओं की दुनिया में स्वीकार्यता बढ़ी है। प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करते हुए उन्होंने बताया कि हम सभी को मिलकर भारत को पुनः विश्वगुरु बनाना है।
द्वितीय दिवस के मुख्य अतिथि अमेरिका के डाॅ. यू. एन. दास जी ने ड्रग डिस्कवरी व क्लिनिकल ट्रायल की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया तथा सभी से पौष्टिक आहार लेने एवं नियमित योग-व्यायाम को अपने जीवन-शैली में जोड़ने की सलाह दी। आयोजन समिति के अध्यक्ष डाॅ. वेदप्रिया जी ने कार्यक्रम का सपफल संचालन करते हुए जानकारी दी की इस सम्मेलन में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से 21 देशों के लगभग 50 से अध्कि शिक्षण संस्थानों से हजारों प्रतिभागी जुड़े हैं। मंचासीन अतिथियों एवं )षिद्वय द्वारा विश्व-भेषज संहिता की 51 खण्ड सहित कुल 59 महत्वपूर्ण ग्रन्थों का विमोचन भी सम्पन्न हुआ।
पतंजलि आयुर्वेद काॅलेज के सहायक आचार्य डाॅ. राजेश मिश्रा जी ने वैदिक पादपवर्गिकी विषय पर, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. एच.बी. सिंह ने जैविक कृषि, डी.आर.डी.ओ. के वैज्ञानिक के डाॅ. रंजीत सिंह ने सीबकथोर्न विषय पर अपने अनुभव साझा करते हुए प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया। आई.आई.टी. गोवाहटी के प्रो. राखी चतुर्वेदी जी ने प्लान्ट टिशू कल्चर तकनीक, तमिलनाडु कृषि वि.वि. के डाॅ. के. राजामणि जी ने औषध्ीय पादप विषय पर, इंदिरा गांध्ी विश्वविद्यालय हरियाणा के कुलपति प्रो. जे.पी. यादव जी ने आयुर्वेद से डेंगू वायरस के नियंत्राण पर विस्तार से प्रकाश डाला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के प्रो. एस.एस. कंवर जी ने बौद्विक सम्पदा, दिल्ली वि.वि. के प्रो. रूपम कपूर जी ने मलेरिया के निदान में आयुर्वेद की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। भारत स्वाभिमान के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी स्वामी परमार्थदेव जी ने वर्तमान की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व वैश्विक समस्याओं के समाधन में विद्या सम्पन्न एवं योगमय जीवन तथा आत्मानुकूल आचरण को समाधन के रूप में प्रस्तुत किया। इस अवसर पर इंदिरा गांध्ी राष्ट्रीय जनजातीय वि.वि., अमरकंट के प्रो. टी. शेखर ने भी अपने विचार रखे।
मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुतिकरण में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले वैज्ञानिकों एवं शोध्कत्र्ताओं को विशेष सम्मान से अलंकृत किया गया। पतंजलि वि.वि., पतंजलि आयुर्वेद काॅलेज, वैदिक गुरुकुलम् एवं पतंजलि अनुसंधन संस्थान के विद्यार्थियों एवं वैज्ञानिकों द्वारा अतिथियों व प्रतिभागियों के सम्मान में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए जिसमें समूह नृत्य, गायन एवं योग की प्रस्तुति भी की गयी। इस सम्मेलन में डाॅ. महावीर अग्रवाल जी, डाॅ. साध्वी देवप्रिया जी, डाॅ. के.एन.एस. यादव जी, डाॅ. वी.के. कटियार जी, डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय जी एवं डाॅ. अनुपम श्रीवास्तव जी सहित संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व विद्वानों की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।