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मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित संस्कृत शिक्षा निदेशक, उत्तराखण्ड एस. पी. खाली ने कहा

रिपोर्ट महिपाल शर्मा l
आज दिनांक 18.10.2022 को उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार द्वारा ‘‘उत्तराखण्ड प्रदेश के परम्परागत संस्कृत शिक्षकों एवं छात्रों हेतु तकनीकी प्रशिक्षण’’ विषयक द्विवर्षीय प्रोजेक्ट के अन्तर्गत पंचदिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेशचन्द्र शास्त्री ने कहा, संस्कृत शिक्षा निदेशक एस.पी.खाली, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रौद्योगिकी एवं अभियान्त्रिकी संकाय के अध्यक्ष प्रो. पंकज मदान एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने संयुक्त रूप से किया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्रौद्योगिकी एवं अभियान्त्रिकी संकाय के अध्यक्ष प्रो. पंकज मदान ने पीपीटी प्रजेंटेशन के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था की दिशा एवं दशा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि निकट भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न ऑनलाइन तकनीकी का प्रयोग किया जाना है, अतः इस कार्यशाला के माध्यम से सभी प्रतिभागियों को इसके विषय में जानकारी दी जाएगी।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित संस्कृत शिक्षा निदेशक, उत्तराखण्ड एस. पी. खाली ने कहा कि उत्तराखण्ड में संस्कृत भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। यहां पर उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी तथा संस्कृत शिक्षा निदेशालय मिलकर संस्कृत शिक्षा का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत शिक्षा में तकनीकी का प्रयोग करने के लिए इस पंच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेशचंद्र शास्त्री ने कहा कि संस्कृत ज्ञान एवं विज्ञान की भाषा है। इस भाषा में वैदिक वांङ्मय से लेकर आधुनिक संस्कृत साहित्य विद्यमान है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में संस्कृत शिक्षा को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, तदनुरूप ही प्रदेश के समस्त संस्कृत शिक्षकों एवं छात्र/छात्राओं को आधुनिक शिक्षण एवं संप्रेषण तकनीकी में प्रशिक्षित करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कहा कि इस प्रोजेक्ट को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा अनुदान दिया गया है।
कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने कहा कि उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय से सम्बद्ध समस्त संस्कृत महाविद्यालयों एवं प्रदेश के समस्त संस्कृत विद्यालयों तथा पाठशालाओं में कार्यरत संस्कृत शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षण में प्रशिक्षित करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
कार्यशाला के सह समन्वयक सुशील चमोली ने बताया कि कार्यशाला में राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों से 110 प्रतिभागी इस कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे हैं। कहा कि पंच दिवसीय कार्यशाला में कुल सत्रह सत्र आयोजित किए जाएंगे जिसमें देश विदेश के विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा।
स्वागत कार्यशाला की संयोजक मीनाक्षी सिंह रावत ने किया। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर एवं अभियान्त्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मंयक अग्रवाल ने आई सी टी विषय पर प्रस्तुतीकरण दिया। तृतीय सत्र में आई आई टी बम्बई में नेशनल कोर्डिनेटर आंकाक्षा सैनी ने स्पोकन ट्युटोरियल विषय पर प्रस्तुतीकरण दिया। तृतीय सत्र में प्रतिभागियों को ऑनलाइन हैण्ड्स ऑन प्रैक्टिस करवाई गयी।
कार्यक्रम का संचालन उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के परियोजना प्रभारी डॉ. सुमन प्रसाद भट्ट ने किया।
इस अवसर पर प्रो. दिनेश चन्द्र चमोला, डॉ. विन्दुमती द्विवेदी, डॉ. हरीश चन्द्र तिवाड़ी, डॉ. वाजश्रवा आर्य, डॉ. पद्माकर मिश्रा, डॉ. चण्डी प्रसाद घिल्डियाल, शोध अधिकारी डॉ. हरीश गुरुरानी, डॉ. नवीन चन्द्र पंत, डॉ. बलदेव प्रसाद चमोली, मनोज गहतोड़ी, विभिन्न संस्कृत महाविद्यालयों के प्राचार्य, शोधार्थी एवं छात्र उपस्थित रहे।

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