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बलिदानियों की कर्जदार सैकड़ों पीढ़ियां हैं: पदम सिंह

बलिदानियों की कर्जदार सैकड़ों पीढ़ियां हैं: पदम सिंह
रिपोर्ट महिपाल शर्मा l
बहादराबाद। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में वीर बाल दिवस समारोह मनाया गया।
मुख्यातिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम सिंह ने कहा कि हमारे देश की परंपरा में वीर बालकों के बलिदान का सर्वश्रेष्ठ इतिहास रहा है।आज हमें इस बलिदानी परम्परा के मूल्यों से प्रेरणा लेकर लोगों में राष्ट्रीय भावना विकसित करने के लिए आगे आने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि महापुरुषों का इतिहास देश दुनियां में भारत का परिचय कराता है,इसके छुपे भाव को हम सभी को जानना आवश्यक है। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव को मनाने के पीछे का हेतु भी यही भाव प्रकट करता है। हमारे गौरवशाली इतिहास की वास्तविकता से लोग परिचित हों यह जरूरी है।भारत का इतिहास विद्वता और बलिदान का है।

उन्होंने कहा कि समाज का दिशादर्शन करने वाली बहुत बड़ी चेन है,जिसे हम अपने आस पास ही खोज सकते हैं।उन्होंने रुड़की के पास स्थित कुंजा बहादुर गांव का जिक्र करते हुए कहा कि जहां आजादी के आंदोलन में 44 लोगों को फांसी दी गयी ,यह बलिदान इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।इसी प्रकार गुरुगोविंद सिंह जी के दोनों साहिबजादों के बलिदान की घटना रोंगटे खड़े कर देती है,उन बच्चों ने देश धर्म के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। माता गूजरी देवी के आंखों के सामने क्रूर आतातायी औरंगजेब ने उन्हें जिंदा दीवारों में चिनवा दिया।गुरुगोविंद जी के बलिदानी परिवार की घटना हमें आज भी झकझोर देती है।इस देश को बनाने में करोड़ों लोगों ने अपना रक्त दिया है,उन्हीं लोगों में यह गुरुपुत्र भी शामिल हैं इसलिए यह देश उनका ऋणी है।
उन्होंने कहा कि जो देश और धर्म के लिए जीवन जीता है आने वाली सैकड़ों पीढ़ियां उसका कर्जदार हो जाती हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भारत तिब्बत समन्वय संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर प्रयाग दत्त जुयाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा हमारे देश का गौरवशाली इतिहास पढ़ाया ही नही गया,अब सही समय आया है जब हम अपने बलिदानी इतिहास से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ सकते हैं।आज के सन्दर्भ में हम देखते हैं तो जरा सी सुविधाओं के लालच में लोग सबकुछ बदल लेते हैं वह क्या दौर रहा होगा जब उन छोटे छोटे बालकों ने देश धर्म के लिए प्राणों का उत्सर्ग करना श्रेष्ठ समझा लेकिन किसी भी सूरत में इस्लाम को कबूल नहीं किया।
प्रोफेसर जुयाल ने कहा कि समाज के प्रति भी हमारी जिम्मेदारियां हैं उन सभी जिम्मेदारियों का सही रूप में निर्वहन करने की आवश्यकता है।हम दूसरे के हाथों की कठपुतली न बनकर महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें।
कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने कहा कि इतिहास की सही जानकारियां जन जन तक पहुंचाएं इस कार्यक्रम के आयोजन के पीछे का उद्देश्य भी यही है,हमें गर्व है कि हमारी परम्पराएं इतनी महान हैं। उन्होंने कहा हमें अपने धर्म और स्वाभिमान के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। अतिथियों ने निबंध प्रतियोगिता के अव्वल छात्रों दुर्गेश भट्ट तथा अमन दुबे को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।इससे पूर्व कार्यक्रम के संयोजक डॉ दामोदर परगाईं ने स्वागत भाषण किया। अतिथियों का परिचय सह संयोजक डॉ कंचन तिवारी ने कराया।धन्यवाद ज्ञापन बीएड विभाग की सहायक आचार्य श्रीमती मीनाक्षी सिंह रावत ने किया। कार्यक्रम को प्रोफेसर दिनेश चंद्र चमोला, सहायक आचार्य डॉ सुशील उपाध्याय, व्याकरण विभागाध्यक्ष डॉ शैलेश तिवारी डॉ बिन्दुमती द्विवेदी, डॉ अजय परमार तथा छात्र प्रतिनिधि सागर खेमरिया,अमन दुबे ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी विभागों के आचार्य,सहायक आचार्य,सह आचार्य, शिक्षणेत्तर कर्मचारी तथा छात्र छात्राएं उपस्थित थे।

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