मुस्लिम फंड प्रकरण में हरिद्वार पुलिस ने हासिल की बड़ी कामयाबी, मुख्य आरोपी सहित 03 अभियुक्त आए पुलिस की गिरफ्त में “बाकी रडार पर”
बहादराबाद 27 जनवरी ( महिपाल )
हजारों आम लोगों की कई साल की जमा की गई पूंजी लेकर फरार हुआ था आरोपी मुस्लिम फंड संस्थापक
जांच के दौरान काले धन को सफेद करने एवं पुराने नोटों को बदलने के ऑफर, का भी हुआ खुलासा
साथियों के लुभावने ऑफर के फेर में फंसा संचालक, दो करोड़ के घाटे में बेचा मुस्लिम फंड का प्लॉट
काले धन को सफेद करने की डील में 20 करोड़ का फायदा होता देख मुस्लिम फंड के खाते से निकाले ढ़ेड़ करोड़
अब तक मुख्य अभियुक्त एवं संदिग्ध सहयोगियों के 23 बैंक खाते किये जा चुके हैं फ्रीज, अर्जित चल-अचल सम्पत्ति का जुटाया जा रहा है विवरण
वादी वसीम पुत्र समीम रावत नि0 ग्राम इब्राहिमपुर थाना पथरी जिला हरिद्वार द्वारा थाना ज्वालापुर पर कबीर म्युचल बैनिफिट लि0 (मुस्लिम फण्ड) के संस्थापक अब्दुल रज्जाक पुत्र सरफू नि0 ग्राम सराय थाना ज्वालापुर जिला हरिद्वार के द्वारा बैंक में उसके द्वारा जमा किये गये 2.81 लाख धनराशि व हजारों अन्य लोगों की जमा राशि लेकर फरार हो जाने के सम्बन्ध में प्रस्तुत तहरीर के आधार पर थाना ज्वालापुर पर मुकदमा पंजीकृत किया गया । हजारों लोगों के बैंक खातों की प्रभावित धनराशि को देखते हुए एसएसपी अजय सिंह के द्वारा प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए एसपी सिटी, सीओ ज्वालापुर के पर्यवेक्षण में प्रभारी निरीक्षक ज्वालापुर को अभियोग के त्वरित अनावरण के निर्देश दिये गये । थाना ज्वालापुर पर अभियोग के अनावरण हेतु 06 टीमों का गठन करते हुए प्रत्येक टीम के द्वारा अपने- अपने टास्क पर कार्यवाही प्रारम्भ की गई ।
उक्त मुस्लिम फण्ड वर्ष 1998 से संचालित किया जा रहा था जिसे वर्ष 2020 में कबीर म्युचल बैनिफिट लि0 के रुप में कार्पोरेट मंत्रालय से मान्यता प्राप्त कराया गया । उक्त तथाकथित बैंक में 13382 एक्टिव खाते पाये गये, जिनमें 8716 खातों में 500 रु0 से कम धनराशि होना पाया गया । उक्त खाताधारकों की कुल करीब 7.5 करोड धनराशि उक्त बैंक में निहित होना पाया गया जिसमें से करीब 1.5 करोड रु0 धनराशि अभियुक्त अब्दुल रज्जाक के द्वारा लोगों का सोना गिरवी रखकर उन्हें 12% वार्षिक ब्याज पर देना पाया गया । विवेचना के दौरान अभियुक्त अब्दुल रज्जाक उसके परिवार व उसके संदिग्ध सहयोगियों के 23 बैंक खाते फ्रीज किये जा चुके हैं इसके अलावा इनके द्वारा अर्जित चल अचल सम्पत्ति का विवरण जुटाया जा रहा है । विवेचना के दौरान पाया गया कि मुस्लिम फण्ड में जमा धनराशि जो कि लोग बगैर ब्याज लिये जमा करा रहे थे को अभियुक्त अब्दुल रज्जाक व उसके साथी प्रोपर्टी की खरीद फरोख्त कर उससे अपने निजी हित में लाभ अर्जित कर रहे थे ।
मुकदमा उपरोक्त में फरार अभियुक्त अब्दुल रज्जाक को पुलिस टीम द्वारा हरिद्वार से गिरफ्तार किया गया । गिरफ्तारी के पश्चात अभियुक्त द्वारा बताया गया कि वह वर्ष 2013 से मुस्लिम फण्ड में जमा कराये गयी रकम को अपने साथियों नसीम उर्फ मुन्ना पुत्र जिन्दे हसन नि0 ग्राम सराय थाना ज्वालापुर हरिद्वार व मशरूर पुत्र इरसाद अली नि0 ग्राम सराय थाना ज्वालापुर हरिद्वार के सहयोग से ज्वालापुर के आस-पास प्रोपर्टी की खरीद फरोख्त कर खासा लाभ अर्जित कर रहा था । इस दौरान अब्दुल रज्जाक को अपने उपरोक्त दोनों साथियों पर विश्वास हो गया साथ ही नसीम उर्फ मुन्ना व मशरूर को भी अब्दुल रज्जाक के पास मुस्लिम फण्ड में अच्छी खासी धनराशि जमा होने की बात पता लग गयी जिससे वह हमेशा मोटी रकम कमाने के लिए लालायित रहता था ।
वर्ष 2020 में मशरूर व नसीम उर्फ मुन्ना के द्वारा अब्दुल रज्जाक को बताया कि उनकी पहचान सम्भल निवासी अन्सार नाम के व्यक्ति से है जिसका साथी साजिद मुम्बई में रहता है साजिद का कोई जानने वाला लन्दन में रहता है जो अपने 100 करोड के काले धन को किसी पंजीकृत संस्था को दान देकर सफेद कराना चाहता है । संस्था में उक्त धनराशि आने के बाद 80 करोड रु0 उसे वापस करने होंगे व 20 करोड रु0 हमें मिल जायेंगे, जिससे लगभग 8-10 करोड़ का स्कूल आदि खोलकर हम कुछ सामाजिक कार्य कर लेंगे बाकि 8-10 करोड रु0 आपस में बांट लेंगे ।
“अब्दुल रज्जाक की आँखो पर लालच की पट्टी बंधी थी वह इस योजना के लिए तुरन्त तैयार हो गया।”
मशरूर व नसीम उर्फ मुन्ना ने अब्दुल रज्जाक की मुलाकात सम्भल में अन्सार से व दिल्ली के रेडीसन होटल में साजिद से करवायी । इस दौरान साजिद से मिलाने के लिए मशरूर व नसीम उर्फ मुन्ना अब्दुल रज्जाक को लेकर मुम्बई व चेन्नई भी गये । साजिद द्वारा उपरोक्त धनराशि दिलवाने के एवज में अब्दुल रज्जाक से अलग अलग किस्तों में 3.5 करोड रु0 साजिद के खातों में व नगद के रुप में दे दिये थे । इस धनराशि को देने के लिए अब्दुल रज्जाक ने मुस्लिम फण्ड के 04 करोड में खरीदे गये फ्लाट को 02 करोड में बेच दिया व शेष 1.5 करोड रु0 की धनराशि मुस्लिम फण्ड के खाते से ली । कुछ दिन बाद साजिद का मोबाइल नम्बर बन्द आने लगा तो मशरूर व नसीम उर्फ मुन्ना व अन्सार उसे लगातार उसका पैसा न डूबने का भरोसा दिलाते रहे व पैसा न मिलने पर अन्सार के द्वारा लोनी गाजियाबाद में 25 बीघा भूमि का एग्रिमेन्ट उसके नाम करने का आश्वासन देते रहे ।
इस घटना के 06 महीने बाद मशरूर व नसीम उर्फ मुन्ना ने अब्बास नाम के व्यक्ति को अब्दुल रज्जाक से मिलवाते हुए कहा कि अब्बास के पास पुरानी करेंसी के 1000 करोड के नोट हैं जिसे वह नई करेंसी में बदलना चाहता है यदि कोई आदमी नई करेंसी में बदल ले तो अब्बास उसे अच्छा खासा कमीशन देने के लिये तैयार है । इस दौरान देहरादून में अब्दुल रज्जाक को दुबारा अब्बास से मिलवाया गया । अब्दुल रज्जाक को शीघ्र ही अब्बास पर विश्वास हो गया इस दौरान वह नये नोटों को एक्सचेंज करवाने वाले की ढूँड खोज में लगा था कि एक दिन अचानक उसके पास सुरेश नाम के अज्ञात व्यक्ति का फोन आया कि उसे पता चला है कि रज्जाक को पुरानी करेंसी के नोटों की जानकारी है सुरेश ने कहा कि उसे सरकार के द्वारा बन्द करेंसी के 10 हजार करोड के नोटों को 40% नई करेंसी में बदलने का टेण्डर प्राप्त है वह उससे मिलकर बात करना चाहता है । सुरेश व अब्दुल रज्जाक की आपस में बात चीत हुई इस दौरान मशरूर व नसीम उर्फ मुन्ना भी उसके साथ थे । अब्बास ने अपना ट्रस्ट लखनऊ में होना बताया था अतः तीनों अब्दुल रज्जाक, मशरूरर व नसीम उर्प मुन्ना, अब्बास के पुराने करेंसी के नोटों को प्राप्त करने के लिए लखनऊ गये परन्तु किसी कारणवश वहां डील नहीं हो सकी । इसके पश्चात अब्बास ने अब्दुल रज्जाक को एक दिन देहरादून बुलवाया और उसकी मुलाकात सन्नी, चौहान व शाहआलम नाम के व्यक्तियों से करायी और कहा कि शाहआलम के पास भी 01 हजार करोड रु0 पुरानी करेंसी है परन्तु यह अपनी पुरानी करेंसी तभी दिखायेंगे जब आप हमें 10 करोड की नई करेंसी दिखाकर विश्वास दिलाओगे कि तुम हमारे साथ धोखा नहीं करोगे । इस दौरान सन्नी व चौहान ने अब्दुल रज्जाक के साथ नई करेंसी के 10 करोड रु0 एडवांस में देने की बात की हामी भरी व सन्नी ने स्वयं 05 करोड देने का आश्वासन दिया व 05 करोड का इन्तजाम करने को अब्दुल रज्जाक को कहा, अब्दुल रज्जाक ने तीन करोड रु0 में संगम वैडिंग पैलेस की अपनी साझेदारी बेची व 02 करोड रु0 सन्नी ने उसे अपने साथी चौहान से दिलवाये जिसके बाबत अब्दुल रज्जाक ने चौहान को 02 करोड के चैक दिये । इसके पश्चात अब्दुल रज्जाक को बताया गया कि शाहआलम के द्वारा दिये गये 01 हजार करोड के नोट वे सुरेश के पास ले गये थे लेकिन सुरेश ने उन रुपयों को गले कटे होने के कारण लेने से मना कर दिया अभी उन नोटों में से सही नोट की छटनी कर रहे हैं सही नोटों को सुरेश ले लेगा इसी को लेकर अब्दुल रज्जाक को उपरोक्त चालबाजों द्वारा चलाया जा रहा था ।
इधर नसीम उर्फ मुन्ना व मशरूर से जब अन्सार से 3.5 करोड रु0 वापस दिलवाने के लिये कहा तो नसीम उर्फ मुन्ना व मशरूर, अब्दुल रज्जाक को 18 जनवरी को गाजियाबाद लोनी स्थित एक जगह पर ले गये जहां अन्सार ने अपने आदमियों को भी भेजा था व एक जमीन दिखाकर अब्दुल रज्जाक से कहा गया कि यह 25 बीघा जमीन अन्सार ने 4.5 करोड रु0 देकर अपने नाम एग्रीमेन्ट करा रखी है तुम भूस्वामी को 02 करोड देकर पूरी जमीन अपने नाम करा सकते हो परन्तु मौके पर मात्र 3-4 बीघा जमीन ही थी बाकी पर प्लाटिंग हो रखी थी । उस दिन अब्बास को महसूस हुआ कि अन्सार व नसीम उर्फ मुन्ना उसका पैसा ठिकाने लगा चुके हैं जिसकी भरपायी मुश्किल है । इसके बाद दिनांक 20.01.2023 को अब्दुल रज्जाक लोगों की देनदारी के चक्कर में घर से फरार हो गया ।
पुलिस टीम द्वारा अब्दुल रज्जाक के बयानों के आधार पर नसीम उर्फ मुन्ना व मशरूर की भी गिरफ्तारी कर ली गई है जिनसे पूछताछ के आधार पर अन्य अभियुक्तों को भी चिन्हित कर लिया गया है, जिनके गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।
*गिरफ्तार अभियुक्त
अब्दुल रज्जाक पुत्र सरफू नि0 ग्राम सराय थाना ज्वालापुर हरिद्वार, नसीम उर्फ मुन्ना पुत्र जिन्दे हसन नि0 ग्राम सराय थाना ज्वालापुर हरिद्वार, मशरूर पुत्र इरसाद अली नि0 ग्राम सराय थाना ज्वालापुर हरिद्वार ।